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Panchtantra ki kahaniya

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Descrição do Panchtantra ki kahaniya

संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। इस ग्रंथ के रचयिता पं. विष्णु शर्मा है |


लगभग2000साल पहले पूर्व भारत के दक्षिणी हिस्से में महिलारोग्य नामक नगर में राजा अमरशक्ति का शासन था | उसके तीन पुत्र बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनंतशक्ति थे| राजा अमरशक्ति जितने उदार प्रशासक और कुशल नीतिज्ञ थे, उनके पुत्र उतने ही मुर्ख और अहंकारी थे| राजा ने उन्हें व्यवहारिक शिक्षा देने की बहुत कोशिश की, परन्तु किसी भी प्रकार से बात नहीं बनी | हारकर एक दिन राजा ने अपने मंत्रियो से मंत्रणा की | उन्हीं में से एक मंत्री सुमति ने राजा को परामर्श दिया की पंडित विष्णु शर्मा सर्वशास्त्रों के ज्ञाता और एक कुशल ब्राह्मण है राजा अमरशक्ति ने पंडित विष्णु शर्मा से अनुरोध किया और पारितोषिक के रूप में उन्हें सौ गाँव देने का वचन दिया | पंडीत विष्णु शर्मा ने पारितोषिक को तो अस्वीकार कर दिया, परन्तु राजकुमारों को शिक्षित करने के कार्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया | इस स्वीकृति के साथ ही उन्होंने घोषणा की, की में यह असंभव कार्य मात्र छ:महीनो में पूर्ण करूँगा, यदि में ऐसा न कर सका तो महाराज मुझे मृत्युदंड दे सकते हैं | पंडित विष्णु शर्मा की यह भीष्म प्रतिज्ञा सुनकर महाराज अमरशक्ति निश्चिन्त होकर अपने शासन-कार्य में व्यस्त हो गए और पंडित विष्णु शर्मा तीनो राजकुमारों को अपने आश्रम में ले आए |


पंडित विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को विविध प्रकार की नीतिशास्त्र से सम्बंधित कथाए सुनाई | उन्होंने इन कथाओं में पात्रों के रूप में पशु-पक्षिओ का वर्णन किया और अपने विचारों को उनके मुख से व्यक्त किया, उचित-अनुचित आदि का ज्ञान दिया और इसके साथ ही राजकुमारों को व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षित करना आरंभ किया| राजकुमारों की शिक्षा समाप्त होने के पश्चात पंडित विष्णु शर्मा ने इन कहानियों पंचतंत्र कहानी संग्रह के रूप में संकलित किया |


उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र ८० वर्ष के करीब थी । पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है :-


मित्रभेद, मित्रलाभ, संधि-विग्रह, लब्ध प्रणाश, अपरीक्षित कारक |


संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है. इस ग्रंथ के रचयिता पं. विष्णु शर्मा है |


 लगभग 2000 साल पहले पूर्व भारत के दक्षिणी हिस्से में महिलारोग्य नामक नगर में राजा अमरशक्ति का शासन था | उसके तीन पुत्र बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनंतशक्ति थे | राजा अमरशक्ति जितने उदार प्रशासक और कुशल नीतिज्ञ थे, उनके पुत्र उतने ही मुर्ख और अहंकारी थे | राजा ने उन्हें व्यवहारिक शिक्षा देने की बहुत कोशिश की, परन्तु किसी भी प्रकार से बात नहीं बनी | हारकर एक दिन राजा ने अपने मंत्रियो से मंत्रणा की | उन्हीं में से एक मंत्री सुमति ने राजा को परामर्श दिया की पंडित विष्णु शर्मा सर्वशास्त्रों के ज्ञाता और एक कुशल ब्राह्मण है राजा अमरशक्ति ने पंडित विष्णु शर्मा से अनुरोध किया और पारितोषिक के रूप में उन्हें सौ गाँव देने का वचन दिया | पंडीत विष्णु शर्मा ने पारितोषिक को तो अस्वीकार कर दिया, परन्तु राजकुमारों को शिक्षित करने के कार्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया | इस स्वीकृति के साथ ही उन्होंने घोषणा की, की में यह असंभव कार्य मात्र छ: महीनो में पूर्ण करूँगा, यदि में ऐसा न कर सका तो महाराज मुझे मृत्युदंड दे सकते हैं | पंडित विष्णु शर्मा की यह भीष्म प्रतिज्ञा सुनकर महाराज अमरशक्ति निश्चिन्त होकर अपने शासन-कार्य में व्यस्त हो गए और पंडित विष्णु शर्मा तीनो राजकुमारों को अपने आश्रम में ले आए |


पंडित विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को विविध प्रकार की नीतिशास्त्र से सम्बंधित कथाए सुनाई | उन्होंने इन कथाओं में पात्रों के रूप में पशु-पक्षिओ का वर्णन किया और अपने विचारों को उनके मुख से व्यक्त किया, उचित-अनुचित आदि का ज्ञान दिया और इसके साथ ही राजकुमारों को व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षित करना आरंभ किया | राजकुमारों की शिक्षा समाप्त होने के पश्चात पंडित विष्णु शर्मा ने इन कहानियों पंचतंत्र कहानी संग्रह के रूप में संकलित किया |


उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र 80 वर्ष के करीब थी. पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है: -


मित्रभेद, मित्रलाभ, संधि-विग्रह, लब्ध प्रणाश, अपरीक्षित कारक |

Panchtantra ki kahaniya - Versão 1.0.4

(10-06-2023)
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Panchtantra ki kahaniya - Informações do APK

Versão do APK: 1.0.4Pacote: com.it.panchtantrakikahaniya
Compatibilidade Android: 4.1.x+ (Jelly Bean)
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